Saturday 8 April 2017

दिव्यांग

Hello friends आज मैंने facebook पर एक picture देखी जिसमें एक छोटी से बच्ची अपनी पैर की उगंली से लिख रही है क्योंकि कोहनी के नीचे उसके हाथ नहीं है। उस नन्ही परी के जज्बे को सलाम। उस picture को देख कर बहुत सारे विचार मन में आये। धन्य है वो माता पिता जो अपनी बच्ची के लिए हौसला बने है। जिन्होंने बच्ची को इस लायक बनाया कि वो कुछ कर सकें। इस तस्वीर को देखकर एक बार तो दिल रोया पर फिर लगा की ये बच्ची तो उन लोगो के लिए मिसाल है जो हाथ पैर होते हुए भी कुछ नहीं करना चाहते। दुनिया में बहुत से लोग है जो शारीरिक रूप से असमर्थ होते हुए भी मानसिक रूप से पूर्ण समर्थ है, अपने दैनिक कार्यों के लिए वो किसी पर निर्भर नहीं हैं। आज जीवन के हर क्षेत्र में इन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज की है। हर क्षेत्र में ये कामयाब है चाहे वो शिक्षा हो, विज्ञान, खेल हो या उघोग। हम शारीरिक रूप से समर्थ होते हुए भी असमर्थ हैं।
हममें से बहुत से कुछ करना नहीं चाहते दूसरों पर निर्भर करते है। जैसे बच्चे माँ बाप पर, घरेलू कामों के लिए पुरुष स्त्री पर। हाथ पैर होते हुए भी हम मेहनत नहीं करना चाहते। आपने देखा होगा कुछ लोग भीख मांगते है  मेहनत करके रोटी नहीं कमा सकते। ऐसे लोगो को इन दिव्यांगों से सबक लेना चाहिए।
दिव्यांग कितना सही नाम दिया है प्रधानमंत्री नरेंद मोदी जी ने। दिव्य अंगो वाले। जब हममें कोई कमी होती है तो इश्वेर एक दिव्य शक्ति देता है जिससे हम ऐसे ऐसे काम कर जाते हैं जिनके बारे में ये समाज और आम आदमी सोच भी नहीं सकता।
सलाम है दिव्यांगों को और आवश्यकता है उनसे सबक लेने की।


जीवन एक कविता 

No comments:

Post a Comment