Thursday 20 April 2017

मजदूर/Laborer

Hello friends आजकल मेरे घर में रंग -रोगन हो रहा है। मजदूर लगे हुए हैं। उनकी लाइफ को देख कर मेरे मन में विचार आया कि ये लोग कितनी मेहनत करते हैं, कितनी कठिन और संघर्ष भरी है इनकी जिंदगी। मन में जो विचार हैं उनको आपके साथ शेयर कर रही हूँ ---


मजदूर जिसे श्रमिक भी कहते हैं। मानवीय शक्ति के द्वारा जिसमें शारीरिक बल और प्रयासों से जो कार्य करने वाला होता है उसे ही मजदूर कहा जाता है। मजदूर हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसके बिना कोई भी कार्य पूरा नहीं हो सकता। आज के इस मशीनी युग में भी उसका महत्व है। जीवन का कोई भी कार्य उसके बिना पूरा नहीं हो सकता चाहे वो व्यापर हो, भवन निर्माण हो, कृषि, पुल एवं सड़कों का निर्माण हो। मजदूर मानवीय श्रम का सबसे आदर्श उदाहरण है। मजदूर अपना श्रम बेचता है और बदले में न्यूनतम मजदूरी पाता है। वह हमारी आर्थिक उन्नति में सहायक है, वह सभी किर्याकलापों के मूल में है फिर भी उसकी अपनी जिंदगी कितनी कष्टों भरी है हम कल्पना भी नहीं कर सकते। रोज कमाता है रोज खाता है। जब तक वह शारीरिक रूप से कार्य करने में सक्षम है तब तक उसका गुजारा होता रहता है। जिस दिन वह अशक्त होकर काम छोड़ देता है उसके लिए जीवन यापन कठिन हो जाता है। यद्यपि आज मजदूर की स्थिति में सुधार हुआ है लकिन वो पर्याप्त नहीं है। हमे इस दिशा में सोचने और कार्य करने की जरुरत है जिससे उनका जीवन और भविष्य सुरिक्षत हो।
आज प्रांतीय एवं केंद्र सरकार की ओर से मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाए भी बनती हैं जिससे मजदूरों की दशा में सुधार भी हुआ है पर वो पर्याप्त नहीं है।
मजदूर एक तो श्रम संगठन के तहत कार्य करते है दूसरे असंगठित क्षेत्र के मजदुर हैं। असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की दशा बहुत दयनीय है। उनके के लिए बहुत काम करने की जरूरत है। हमे और सरकार को सुनिचित करना चाहिए कि उन्हें सामाजिक व् आर्थिक सुरक्षा मिले। उनके श्रम का सम्मान होना चाहिए।
मैं देखती हूँ इतनी गर्मी में मजदूर काम कर रहे है अरे हम एयर कंडीशन में बैठे हैं। ये लोग धूल -मिट्टी, रंग रोगन में काम कर रहे है पर इनको कोई शिकायत नहीं है। रोटी खाकर थोड़ी देर सुस्ता लेते हैं और फिर से काम पर लग जाते हैं। शाम को जाने से पहले सारी सफाई भी करके जाते हैं। दूसरी ओर मैं हूँ जो अपने घर की सफाई करने के बाद मेरे हाथों में एलर्जी हो गयी है। मजदूरों के हाथों को कुछ नहीं होता दूसरी ओर में हूँ कि उनके सफाई करने के बाद पोछा लगाने से मेरे हाथों एलर्जी हो गयी जबकि मैं अपने घर के काम स्वयं की करती हूँ।
कितने नाजुक है हम।
धन्य है मजदूर जो निरंतर काम और सिर्फ काम करता है। सलाम है मजदुर को।


जीवन एक कविता 

No comments:

Post a Comment