Friday 31 March 2017

कूटू की पूरी

Hello friends आज मैं आपके साथ शेयर कर रही हूँ कूटू की पूरी की रेसिपी


सामग्री


२ कप कूटू का आटा 
४ उबले हुए आलू 
सेंधा नमक स्वादानुसार 
तेल पूड़ी टालने के लिए 
आलू की सब्जी एवं दही 


विधि


एक बाउल में कूटू का आटा लीजिये, सेंधा नमक डालिये अब उबले आलू मैश कीजिये और आलू की सहायता से आटा गूंध लीजिये अगर जरूरत हो तो थोड़ा पानी मिला लीजिये। आटा सख्त होना चाहिए। आटे में थोड़ा तेल लगा कर १० मिनट के लिए रख दीजिये। अब कड़ाही में तेल गर्म कीजिये। आटे की लोई बना ले और चकले पर तेल लगा कर पूरी के आकार में बना लीजिए। गर्म तेल में पूड़ी golden brown होने तक तल लीजिये। 
अब इन गर्म गर्म पूरियों को आलू की सब्जी और दही के साथ सर्व कीजिये। दही का जरूर ले क्योंकि कुटु का आटा गर्म होता है। 
अगर आप पूरी नहीं कहना चाहते तो आप इसका परांठा भी बना सकते हैं पर परांठे का आटा थोड़ा soft होना चाहिए। 
enjoy पूरी सब्जी with your family


जीवन एक कविता 

Thursday 30 March 2017

कच्चे केले और पनीर के कटलेट

Hello friends नवरात्रि का पर्व है और हम में से बहुत से लोगों के उपवास हैं। इसलिए मैं आपके साथ व्रत की एक रेसिपी share करती हूँ वो है कच्चे केले के और पनीर के कटलेट,इसको बनाने के लिए 

सामग्री
४ कच्चे केले उबले हुए
१ बड़ा आलू उबला हुआ
५० ग्राम पनीर
सेंधा नमक स्वादानुसार
लाल मिर्च स्वादानुसार
गरम मसाला आधा चम्मच
अमचुर पाउडर स्वादानुसार
१ हरी मिर्च बारीक कटी हुई
१ चम्मच हरा धनिया बारीक कटा हुआ
तेल तलने के लिए
हरे धनिये की चटनी
इमली की मीठी सोंठ


विधि
एक बाउल में केलों और आलू को छील कर मैश कर लें। अब इसमें सभी मसाले मिला लें। अब एक दूसरे बाउल में पनीर को मैश कर ले। पनीर में कटी हुई हरी मिर्च, हरा धनिया और हल्का सा सेंधा नमक मिला लें। आलू और केले के मिश्रण को बराबर हिस्सो में बाट लें। अब एक हिस्से को हथेली पर रख कटोरी की शेप देकर उसमें पनीर भर कर अच्छे से बंद करके मनचाहे आकर में कटलेट बना लें। इसी प्रकार सभी कटलेट बना लें। अब एक कड़ाही में तेल गर्म करें और सभी कटलेट गोल्डन ब्राउन होने तक तल लें। अगर आप डीप फ्राई नहीं करना चाहती तो नॉन स्टिक पैन में शेलो फ्राई भी कर सकती हैं। हरे धनिये की चटनी और इमली की मीठी सोंठ के साथ सर्व करें। अपने परिवार के साथ कच्चे केले और पनीर के कटलेट का स्वाद लीजिये। 
जीवन एक कविता 



Wednesday 29 March 2017

कूटू के आटे की दही पकौड़ी

नवरात्रि का पर्व हो और उपवास हो, ऐसा हो नहीं सकता। नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए अमूमन सभी भक्तजन व्रत करना पसंद करते हैं, लेकिन उपवास में फलाहार भी बहुत जरूरी होता है। फलाहारी के नाम पर हम कई बार ऐसा खा लेते हैं, जो काफी हैवी होता है। यहां हम आपके  लिए लेकर आएं हैं कुछ तरह के व्यंजन, जो हेल्दी होने के साथ-साथ आपका एनर्जी लेवल  बनाए रखने में भी आपकी मदद करेंगे। कूटू के आटे की दही पकौड़ी के लिए हमे चाहिए 


सामग्री


१ कप कूटू का आटा 

२ कप दही
भुना जीरा आधा चम्मच
लाल मिर्च पाउडर स्वादानुसार
सेंधा नमक स्वादानुसार
/ चम्मच चीनी
तेल तलने के लिए
इमली की मीठी सोंठ 
धनिया फॉर गार्निश



विधि
एक बाउल में कूटू का आटा ले पानी डाल कर घोल लें। घोल उतना गाड़ा रखे जैसा आप दही की पकौड़ी बनाते समय रखतीं हैं। अब इस घोल को थोड़ी देर फेट ले। फेटने से पकौड़ी soft बनती है। अब कड़ाही में तेल गर्म करें और पकौड़ी के आकार में घोल से छोटी छोटी पकौड़ी सुनहरी होने तक ताल लें फिर इनको पानी में भिगो दे पानी में थोड़ा सा सेंधा नमक दाल दीजिये। १५ मिनट बाद पानी change कर दीजिये। १५ मिनट बाद फिर से पानी change कीजिये। पानी change करने से पकौड़ी की सारी चिकनाई निकल जाती है और पकौड़ी खाने में एकदम हल्की होगी। ३० मिनट के बाद साडी पकौड़ी पानी से निचोड़ कर निकल ले। अब एक बाउल में दही डाल कर फेट ले। दही में भुना जीरा, लाल मिर्च,सेंधा नमक और चीनी मिला लें। अब पकोड़ियों को दही में मिक्स करें। हरे धनिये और इमली की मीठी सोंठ से गार्निश करके सर्व करे। 
जीवन एक कविता 

































 


Tuesday 28 March 2017

हिन्दू नववर्ष और चैत्र नवरात्रि

Hello friends आप सबको हिन्दू नववर्ष और चैत्र नवरात्रि की शुभकामनाएं।
हिन्दू नववर्ष और चैत्र नवरात्रि का मंगलवार से प्रारंभ हो गया है। हर साल में चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक चलने वाले नवरात्र ही ज्यादा लोकप्रिय हैं जिन्हें मां भगवती की आराधना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। धर्म ग्रंथों, पुराणों के अनुसार चैत्र नवरात्रों का समय बहुत ही भाग्यशाली बताया गया है। इसका एक कारण यह भी है कि प्रकृति में इस समय हर और नये जीवन का, एक नई उम्मीद का बीज अंकुरित होने लगता है। जनमानस में भी एक नई उर्जा का संचार हो रहा होता है। लहलहाती फसलों से उम्मीदें जुड़ी होती हैं। सूर्य अपने उत्तरायण की गति में होते है। ऐसे समय में मां भगवती की पूजा कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करना बहुत शुभ माना गया है। क्योंकि बसंत ऋतु अपने चरम पर होती है इसलिए इन्हें वासंती नवरात्र भी कहा जाता है।
माता दुर्गा के नौ रूपों का उल्लेख भी दुर्गा-सप्तशती के कवच में है जिनकी साधना करने से भिन्न-भिन्न फल प्राप्त होते हैं। कई साधक अलग-अलग तिथियों को जिस देवी की हैं, उनकी साधना करते हैं, जैसे प्रतिपदा से नवमी तक। 28 मार्च मंगलवार को कलश स्थापना (घट स्थापना) के साथ 9 दिन की आराधन का पर्व शुरू होगा। नवरात्र 28 मार्च से 5 अप्रैल तक चलेंगे। मंगलवार को कलश स्थापना का मुहूर्त सुबह 8.28 बजे से है। जानिए किस दिन करनी है किसकी पूजा:
28 मार्च : पहला दिन : कलश स्थापना देवी शैलपुत्री की पूजा
29 मार्च : दूसरा दिन : द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
30 मार्च : तीसरा दिन : देवी मां चंद्रघंटा का पूजन गणगौरी पूजन
31 मार्च : चौथा दिन : देवी के चौथे स्वरूप देवी कूष्मांडा का पूजन
01 अप्रैल : पांचवा दिन : शिवपुत्र कार्तिकेय की मां स्कंदमाता की पूजा
02 अप्रैल: छठा दिन : देवी कात्यायनी की पूजा
03 अप्रैल: सातवां दिन : कालरात्रि मां की पूजा
04 अप्रैल: आठवां दिन : आठवीं देवी महागौरी की पूजा श्री दुर्गा अष्टमी व्रत
05 अप्रैल: नौवा दिन : देवी भगवती के नवम स्वरूप सिद्धिदात्री का पूजन


भारत के भिन्न भिन्न राज्यो में अलग अलग नामो से मनाया जाता है। 
चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को महाराष्ट्र में 'गुड़ी पड़वा' कहा जाता है। गुड़ी का अर्थ 'विजय पताका' होता है तो आन्ध्र और कर्नाटक में उगादी के नाम से जिसका अर्थ होता है नए युग की शुरुआत यानि नववर्ष। 
दोस्तों नववर्ष आपके लिए मंगलमय एवं शुभ हो। 


जीवन एक कविता