Sunday 5 March 2017

सोच

सोच यानि विचार या thought
इस संसार में केवल एक मनुष्य ही है जो सोचता है और उस सोच को व्यक्त भी करता है।
पशु एवं जानवर भी सोचते होंगें पर हम उनकी सोच को समझ नहीं पाते। मनुष्य ही है जो अपनी सोच को विचारों को शब्दों के रूप में सभी तक पहुंचाता भी है।
मनुष्य जब इस दुनिया में आता है तो उसकी कोई सोच नहीं होती। जैसे जैसे वो बड़ा होता है तरह तरह के विचारों से उसका परिचय होता है। जो भी हम अपने आस पास देखते है, सुनते हैं वो सब विचारों के रूप में दिल और दिमाग में अपनी छाप छोड़ देते है। इन्हीं विचारों से हमारी मानसिकता विकसित होती है। मानसिकता ही हमारी सोच है। सोच दो तरह की होती है सकारात्मक और नकारात्मक। सोच ही हमारी पर्सनेलिटी को दर्शाती है। सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति शांत मन वाला होता है जब की नकारात्मक सोच वाला हमेशा उलछा और परेशान रहता है। सकारात्मक सोच हमारे जीवन पर बहुत गहरा असर डालती है। नकारात्मक सोच वाले अच्छी चीज़ो में भी बुराई ही ढूंढते हैं। जैसे आधे भरे गिलास को देखकर सकारात्मक सोचवाला बोलता है कि गिलास आधा भरा है और नकारात्मक सोचवाला कि गिलास आधा खाली है। ये तो रही विचरो की बात।  हम प्रतिदिन अनेक लोगो से मिलते है उनकी बातों को सुनते है और अपनी समझ के अनुसार उसको ग्रहण करते हैं। कभी कभी हम किसी की बात को सुन कर परेशान ही जाते है लकिन उसकी बातो को सकारात्मक रूप में लेंगे तो
हमारे मन को शांति मिलेगी।  मैं भी अपनी जिंदगी कई बार दुसरो की बातों को नेगेटिव ले लेती हूँ जिससे मेरे मन को परेशानी होती है तब मेरी एक सहेली उन्हीं बातों से पॉजिटिव पॉइंट्स बताती है और मेरे मन को शांति मिल जाती है।
तो मित्रों अपनी सोच को सकारात्मक बनाइये और खुश रहिए।


जीवन एक कविता



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