Friday 3 March 2017

स्वयं से प्यार करो

वैसे तो प्रकृति के कण कण में जीवन है पर मानव जीवन अनमोल है।
कहा भी गया है कि चौरासी लाख योनियों के बाद मानव जीवन मिलता है।
मनुष्य के रूप में जन्म लेने के लिए कितनी योनियों में विचरण करना पड़ता है इसलिए मानव जन्म के महत्व को समझे। बालक जब इस संसार में आता है तो वो पवित्र एवं भोला होता है बिल्कुल एक कोरे कागज की तरह.
उसको दुनियादारी की कोई समझ नहीं होती पर जैसे जैसे वो बड़ा होता है नई नई चीजों को सीखता है तो उसका मन एवं दिमाग बहुत से रंगों से रंग जाता है। परिवार और समाज की जिमेदारियों को निभाते वो उसमें इतना खो जाता है की अपने आप को ही भूल जाता है।
मेरा ये मानना है कि जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए आप अपने बारे में भी सोचे।
अक्सर लोगो को यह कहते हुए देखा गया है कि मेरा क्या है, ऐसे ही जिंदगी कट जाएगी।
क्यों भई ऐसे ही जिंदगी क्यों कटेगी ? ये जिंदगी हमारे पास ईश्वर की अमानत है उसे संभाल कर रखना है।
एक दिन जब ये आत्मा उस परमात्मा में जाकर मिलेगी तो हम परमात्मा को क्या जबाब देंगे ?
ईश्वर की बनाई हर चीज सूंदर है चाहे वो पेड़ पौधे हों या मनुष्य, उसको देखने का नजरिया अलग हो सकता है। हमें अपने नजरिये को बदलने की जरुरत है।
सबसे पहले अपने आप को पहचानिये, अपना ख्याल रखें तभी आप दूसरों की देखभाल कर सकते है।
मैंने अक्सर लोगो को कहते सुना है कि मैं देखने में सूंदर नहीं हूँ, मेरा रंग कला है, मेरे बाल अच्छे नहीं हैं और भी बहुत कुछ। क्यों भाई आप ऐसा क्यों सोचते हैं। इस तरह तो हम लोगो को बोलने का मौका दे रहे है। सुंदरता इस नश्वर शरीर में नहीं है। सुंदरता हमारी सोच में होनी चाहिए और ये तभी होगा जब हम अपने आप से प्यार करेंगे।
जब हम स्वयं से प्यार करेंगे तभी दूसरों से भी प्यार कर सकते हैं और दुसरे भी हमसे प्यार करेंगे।
हम ईश्वर का अंश है इसलिए स्वयं से प्यार करना ईश्वर से प्यार करना है।


जीवन एक कविता 

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