Saturday 4 March 2017

रिश्ते

रिश्ते  यानि relationship .
रिश्ते जो हमें जन्म के साथ मिलते हैं और कुछ रिश्ते हम खुद बनाते हैं।
बालक जब जन्म लेता है तो सबसे पहला रिश्ता माता और पिता से होता है जो सबसे प्यारा रिश्ता है।
दादा-दादी,नाना-नानी,चाचा ,बुआ,मामा,मौसी ,भाई,बहन और भी बहुत सारे रिश्ते हैं जो जन्म से ही मिलते हैं।
जैसे जैसे बालक बड़ा होता है वो इन रिश्तों को समझता और महसूस करता है।
जब बालक बड़ा होता है और स्कूल जाता है तो कुछ नए रिश्ते बनते हैं जैसे गरु -शिष्य ,दोस्त सहपाठी आदि।
माता  पिता के बाद सबसे महत्वपूर्ण रिश्ता होता है गरु -शिष्य का।
माता पिता एवं गरु से बालक को संस्कार मिलते हैं उन्ही को देखकर बालक बोलना ,पढ़ना ,आचार ,व्यवहार अच्छी और बुरी सभी बातें सीखता है।
रिश्ता एक ऐसा शब्द जिसमें अनेक अर्थ हैं जैसे विश्वास ,अपनापन, प्यार ,वादा ,आदर,मान -सम्मान.....
रिश्तों को निभाना आसान नहीं होता इसलिए हमको पूरी ईमानदारी और सच्चाई से पारिवारिक रिश्तो के साथ ही सामाजिक रिश्तों को भी निभाना चाहिए। माता पिता एवं गुरु का ये कर्तव्य है कि वे बालक का सही मार्ग दर्शन करें साथ ही बालक के सामने एक मिसाल पेश करें क्योंकि इनके व्यवहार का सबसे ज्यादा असर पड़ता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में ही हम अनेक रिश्तों को निभाते है। एक स्वस्थ समाज तभी होगा जब हम रिश्तो को ईमानदारी से निभाएंगे।
रिश्ते बहुत नाजुक होते है। एक छोटी सी गलती भी उनमें दरार डाल देती है।
प्लीज रिश्तों को संभाल कर रखिये। आपका जीवन आसान हो जायेगा।


जीवन एक कविता 

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