संतोष यानि satisfaction
संतोष दो प्रकार का होता है -
एक - किसी काम को ठीक से करने के बाद जो अनुभव होता है उसे संतोष कहते है।
दूसरा - संतोष वह मानसिक अवस्था है जिसमें व्यक्ति प्राप्त होने वाली वस्तु को पर्याप्त समझता है और उससे अधिक की कामना नहीं करता।
आज के माहौल में अक्सर देखने में आता है कि संतोष मानव जीवन से धीरे धीरे खत्म होता जा रहा है। अधिक को पाने की चाह हमें परेशान करती है।
एक दूसरे को देख कर हमें लगता है कि उसके पास गाड़ी बंगला है पर मेरे पास नहीं है। ये सोच हमको परेशान करती है जिससे हमको मानसिक शांति नहीं मिलती। मेरी मम्मी कहती थीं कि अपने से नीचे वाले को देखो ऊपर वालों को नहीं, तब हमको पता चेलेगा की हमारे पास तो बहुत कुछ है। यही सोच हमको मानसिक शान्ति देती है। आज भी ऐसे लोग है जो अपनी जिंदगी से संतुष्ट है उनको जितना मिला है उसी में खुश हैं। अब सवाल ये है कि क्या हमे आगे बढ़ने के बारे में नहीं सोचना चाहिए ,अवश्य सोचिये और प्रयास भी कीजिये पर फल की इच्छा नहीं कीजिये ,बस कर्म करते जाए। हमारे शात्रों में भी कहा गया है कि कर्म करो। निराशा तभी होती है जब किसी कामना के साथ कोई कार्य किया जाता है।
इसलिये आपके पास जो है उसी में संतोष ,सुख और शांति पाइये। इससे आपका जीवन सहज और सरल होगा।
संतोष सुख की कुंजी है इसका अनुभव कीजिये और सुखी रहिये।
जीवन एक कविता
संतोष दो प्रकार का होता है -
एक - किसी काम को ठीक से करने के बाद जो अनुभव होता है उसे संतोष कहते है।
दूसरा - संतोष वह मानसिक अवस्था है जिसमें व्यक्ति प्राप्त होने वाली वस्तु को पर्याप्त समझता है और उससे अधिक की कामना नहीं करता।
आज के माहौल में अक्सर देखने में आता है कि संतोष मानव जीवन से धीरे धीरे खत्म होता जा रहा है। अधिक को पाने की चाह हमें परेशान करती है।
एक दूसरे को देख कर हमें लगता है कि उसके पास गाड़ी बंगला है पर मेरे पास नहीं है। ये सोच हमको परेशान करती है जिससे हमको मानसिक शांति नहीं मिलती। मेरी मम्मी कहती थीं कि अपने से नीचे वाले को देखो ऊपर वालों को नहीं, तब हमको पता चेलेगा की हमारे पास तो बहुत कुछ है। यही सोच हमको मानसिक शान्ति देती है। आज भी ऐसे लोग है जो अपनी जिंदगी से संतुष्ट है उनको जितना मिला है उसी में खुश हैं। अब सवाल ये है कि क्या हमे आगे बढ़ने के बारे में नहीं सोचना चाहिए ,अवश्य सोचिये और प्रयास भी कीजिये पर फल की इच्छा नहीं कीजिये ,बस कर्म करते जाए। हमारे शात्रों में भी कहा गया है कि कर्म करो। निराशा तभी होती है जब किसी कामना के साथ कोई कार्य किया जाता है।
इसलिये आपके पास जो है उसी में संतोष ,सुख और शांति पाइये। इससे आपका जीवन सहज और सरल होगा।
संतोष सुख की कुंजी है इसका अनुभव कीजिये और सुखी रहिये।
जीवन एक कविता
Very nice mam....
ReplyDeletethank you
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